‘आप’ का ‘जय किसान अभियान’

नमक… वफ़ादारी का प्रतीक। किसान का नमक! वक़्त आ गया है जब अपने सांसद और विधायकों को नमक का फ़र्ज़ याद दिलाया जाए। उन्हे सावधान किया जाए कि वे संसद और विधानसभा में जाकर किसान से ग़द्दारी न करें।

चुनावों से पहले, केंद्र और राज्य (हरियाणा के संदर्भ में) दोनों में, किसानों से बड़े – बड़े वादे किये गए। और, जीत के पश्चात किसानों को मिली धोखे की सौग़ात।

वादा था – ‘भूमि अधिग्रहण में किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे’।
सरकार बनते ही अध्यादेश के ज़रिये भूमि अधिग्रहण क़ानून से किसानों के फ़ायदे वाली हर बात से मुँह मोड़ लिया गया। अब अधिग्रहण से पहले न तो किसान की रज़ामंदी चाहिए, न वो आपत्ति कर आ सकता है, जो ज़मीन अधिग्रहण कर इस्तेमाल न हो वो किसान को वापस भी न होगी। क्या यह है न्याय का स्वरूप!

वादा था- ‘किसान को फ़सल की लागत के ऊपर ५०% मुनाफ़ा दिलाया जाएगा’।
लेकिन ५०% तो दूर सरकार लागत से भी कम क़ीमत दे रही है और उस दाम पर भी ख़रीद नहीं रही है। अब तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दे दिया कि नहीं किया जा सकता, बाज़ार को नुक़सान पहुँचेगा।

वादा था – ‘हरियाणा में दूसरी ‘हरित क्रांति’ लाएँगे, किसान को हर सुविधा देंगे’।
सरकार बनते ही यूरिया खाद का आयात आधे से कम कर दिया। यूरिया का संकट है, कालाबाज़ारी का धंधा शुरू है। किसानों पर डंडे चल रहे हैं।

वादा था – ‘२४ घंटे बिजली देंगे’।
हरियाणा में भाजपा की खट्टर सरकार के आते ही किसान के लिए बिजली १४ घंटे से ११ घंटे कर दी।

सरकार के इन असंवेदनशील एवं कृषि – विरोधी निर्णयों और किसान तथा खेतीबाड़ी पर हो रहे निरंतर अत्याचार के ख़िलाफ आम आदमी पार्टी (हरियाणा) ने ‘जय किसान अभियान’ प्रारंभ किया है।

‘जय किसान अभियान’ के ज़रिये आम आदमी पार्टी देश की सबसे बड़ी पंचायत में बैठने वाले हमारे जन प्रतिनिधियों को फ़र्ज़ याद दिलाने के लिए ‘नमक की थैली’ और ‘यूरिया के कट्टे’ भेंट कर रही है ताकि नेताओं को किसान की पीड़ा और अपना घोषणापत्र याद रहे।

‘जय किसान अभियान’ की शुरूआत हरियाणा राज्य प्रभारी और ‘आप’ के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री योगेन्द्र यादव के नेतृत्व में गुड़गाँव से २१ फ़रवरी २०१५ को हुई। यह अभियान अगले कई चरणों में पूरे हरियाणा राज्य में चलाया जाएगा। ‘आप’ का लोकतांत्रिक संघर्ष ‘जय किसान अभियान’ के रूप मे जारी है।

Jai Kisan Abhiyan
Jai Kisan Abhiyan

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