राजनैतिक दल निर्माण की सम्भावना

14 अप्रैल 2015 को स्वराज संवाद से शुरू हुआ ‘वैकल्पिक राजनीति एवं स्वराज’ का यह सफ़र कई अहम् पड़ावों से होता हुआ अब एक बहुत ही महत्वपूर्ण पड़ाव पर आ खड़ा हुआ है जहाँ से स्वराज अभियान द्वारा एक राजनैतिक दल निर्माण की सम्भावना मुकम्मल हो सकती है।

राजनीति के कई स्वरुप होते हैं। व्यक्तिगत स्तर से लेकर संगठनात्मक रूप में जाने-अनजाने हम राजनीतिक प्रक्रिया के हिस्सा होते हैं। राजनीति के बिना लोकतंत्र की परिकल्पना ही बेमानी है। राजनीति का स्वरूप सामाजिक हो, आर्थिक हो या सांस्कृतिक, किसी ना किसी रूप में राजनीति गतिमान रहती है।

स्वराज अभियान भी एक राजनीतिक संगठन है और सामाजिक एवं राजनीतिक आंदोलनों के जरिए राजनीति में दख़ल करता आया है। चाहे वो खेती-किसानी से जुड़ा मसला हो या भ्रष्टाचार से जुड़ा, शिक्षा व्यवस्था से जुड़ा मामला हो या सांप्रदायिक सौहार्द एवं सद्भावना का, स्वराज अभियान मुखर होकर संघर्ष करता रहा है। देश के सामने आए बड़े एवं अहम् सवालों पर भी स्वराज अभियान ने बेबाकी से अपनी बात रखी है। सिर्फ़ चुनावी राजनीति में भागीदारी को छोड़कर स्वराज अभियान राजनीतिक संगठन का हर दायित्व निभाता रहा है।

अप्रैल 2015 में अपने गठन के साथ ही स्वराज अभियान पर राजनीतिक पार्टी बनाने का दबाव रहा है। जब भी किसी राज्य में चुनावी सरगर्मी बढ़ी, यह दबाव भी बढ़ा। लेकिन, कहते हैं न – ‘दूध का जला, छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है’। वैकल्पिक राजनीति का एक प्रयोग इसी जल्दबाजी में समझौतों की भेंट चढ़ गया। तो, स्वराज अभियान ने राजनीतिक पार्टी बनाने से पहले अपने लिए कुछ महत्वपूर्ण मापदंड तय किए।

स्वराज अभियान की राष्ट्रीय सञ्चालन समिति द्वारा 28 एवं 29 नवम्बर 2015 को गुडगाँव में आयोजित बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया। यह प्रस्ताव था – ‘राजनैतिक दल निर्माण की कसौटियाँ और हमारी राह’। वैकल्पिक राजनीति की स्थापना के वायदे को पूरा करने के लिए स्वराज अभियान ने पारदर्शिता, जवाबदेही एवं आतंरिक लोकतंत्र का मापदंड तय किया।

पारदर्शिता एवं जवाबदेही के तहत स्वराज अभियान के सदस्यों की लिस्ट, पदाधिकारियों, सञ्चालन समिति व वर्किंग कमेटी के सदस्यों की लिस्ट, अभियान के सभी फ़ैसले, आमदनी व खर्च भी स्वराज अभियान की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जा चुका है। संगठन ने स्वेच्छा से खुद को ‘सूचना के अधिकार’ के अंतर्गत रखा है एवं जन सूचना पदाधिकारी नियुक्त किये गए हैं। साथ ही, संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर एवं उन राज्यों में, जहाँ विधिवत चुनावी प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है और मनोनीत सदस्यों की जगह चयनित सञ्चालन समिति एवं वर्किंग कमिटी का गठन हो गया है, वहाँ अनुशासन समिति, लोकपाल एवं राज्य लोकायुक्त भी नियुक्त हो रहे हैं।

आतंरिक लोकतंत्र के तहत यह तय किया गया था कि मनोनीत की गई मौजूदा सञ्चालन समिति व वर्किंग कमेटी की जगह विधिवत चुनी व गठित की गई सञ्चालन समिति व वर्किंग कमेटी होनी चाहिए। इसके लिए 100 से ज्यादा जिलों में और कम से कम 6 राज्यों में विधिवत चुनाव प्रक्रिया पूरी करनी थी।

स्वराज अभियान का संगठन अगर इन कसौटियों पर खड़ा उतरता है तब नई चुनी व गठित की गयी राष्ट्रीय सञ्चालन समिति नए राजनीतिक संगठन के गठन के बाबत विचार कर सकती है। यदि राष्ट्रीय सञ्चालन समिति ऐसे फ़ैसले का अनुमोदन करती है तो संगठन के सभी सदस्यों के बीच रायशुमारी करवा कर इस फ़ैसले की पुष्टि करवानी होगी जिसके बाद राजनीतिक पार्टी के गठन की प्रक्रिया प्रारंभ होगी।

पारदर्शिता एवं जवाबदेही की कसौटी पर संगठन अपने दायित्वों को लगातार पूरा कर रहा है। अपेक्षित सूचनाएँ, यहाँ तक कि राष्ट्रीय सञ्चालन समिति और वर्किंग कमेटी की बैठकों में लिए गए फैसलों की जानकारी भी वेबसाइट के माध्यम से सार्वजनिक की जा रही है। आमदनी और खर्च के ब्योरे भी सार्वजानिक किये जा रहे हैं । आतंरिक लोकतंत्र को सुनिश्चित करने के लिए संगठनात्मक चुनाव संपन्न कराये जा रहे रहे हैं। नीचे से ऊपर की ओर विधिवत चुनाव द्वारा गठित संगठनात्मक ढाँचा तैयार हो रहा है।

पिछले दो महीने से चल रहे संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया में 110 से ज्यादा जिलों में जिला कार्यसमिति एवं राज्य सञ्चालन समिति के लिए सदस्यों का चुनाव हो गया है। बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र और कर्णाटक जैसे 7 राज्यों में राज्य सञ्चालन समिति व राज्य वर्किंग कमेटी की चुनावी प्रक्रिया भी पूरी हो गयी है।

30 एवं 31 जुलाई को स्वराज अभियान का राष्ट्रीय अधिवेशन है। 30 जुलाई को नई चुनी हुई 300 सदस्यीय राष्ट्रीय सञ्चालन समिति राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव करेगी। फिर, 31 जुलाई को विभिन्न राज्यों से आए 1000 से ज्यादा चुने हुए प्रतिनिधि राजनैतिक पार्टी निर्माण के बाबत निर्णय लेंगे।

14 अप्रैल 2015 को स्वराज संवाद से शुरू हुआ ‘वैकल्पिक राजनीति एवं स्वराज’ का यह सफ़र कई अहम् पड़ावों से होता हुआ अब एक बहुत ही महत्वपूर्ण पड़ाव पर आ खड़ा हुआ है जहाँ से स्वराज अभियान द्वारा एक राजनैतिक दल निर्माण की सम्भावना मुकम्मल हो सकती है।